वास्तव गडरिया कोई जाति नहीं थी यह एक पेशा हुआ करता था किन्तु प्राचीन समय में पेशे से ही जाति की उत्पत्ति होती थी जैसे चमड़े का कार्य करने वाले चर्मकार अथवा चमार बन गए,लकड़ी का कार्य करने वाले बढाई बन गए लोहे का कार्य करने वाले लोहार बन गए इसी प्रकार भेड पालने वाले गडरिया बन गए! गडरिया शब्द गड़र से निकला है जो कि गांधार से लिया गया है क्युकी भेड को सबसे पहले गांधार से ही लाया गया था!गडरिया जाति को एक मूल जाति माना जाता है तथा इसके साथ अन्य उपजातियां इस प्रकार हैं पाल,बघेल,कुरुबा,धनगर ,गायरी,रेवारी,होल्कर,गाडरी,हटकर,सेंगर इत्यादि!
पाल शब्द संस्कृत शब्द पाला से आया है जिसका अर्थ होता है 'पालने वाला' अथवा 'रखने वाला'! उत्तर भारत में जो लोग भेड बकरिया पालते थे उनको पाल कहा जाता था किन्तु पाल सरनेम सबसे पहले बंगाल और बंगाल के पास के क्षेत्र वर्तमान बांग्लादेश में गुप्तोत्तर कालीन कायस्थ राजाओं ने उपयोग किया वहाँ पाल सरनेम कायस्थों द्वारा लगाया जाता है!उसके बाद महाराष्ट्र की एक शिकार करने वाली जाति ने पाल शब्द को सरनेम बनाया तथा बाद में पाल सरनेम को ग्वालियर के राजा ने अपनाया!इसी प्रकार पाल सरनेम को गढ़वाल के परमार राजपूत राजाओं ने अपनाया किन्तु बाद में उन्होंने इसको सिंह के नाम से परिवर्तित कर दिया!इस प्रकार कहा जा सकता है कि उत्तर भारत में पाल सरनेम को भेड बकरियां पालने वाले गडरिया लोगो ने लगाया और पाल गडरिया की एक उपजाति बन गयी!
उत्तर प्रदेश एवं आसपास के क्षेत्र में बघेल सरनेम एक नदी के कारण लिया गया है जो बघेल साम्राज्य के सीमा पर बहती थी उस नदी के आसपास जो गडरिया निवास करते थे वो अपने आप को बघेल/बाघेला कहने लगे तथा अपने आप को बघेल वंशज मानने लगे!
गायरी/गाडरी/रेवारी- ये उपजातियां राजस्थान में प्रचलित हैं राजस्थानी भाषा में गायर शब्द का अर्थ भेड से निकाला जाता है इस प्रकार राजस्थान में भेड पालने वाले गड़रियों द्वारा गायरी/गाडरी सरनेम का उपयोग किया जाता है!रेवारी शब्द रेवड़/रेवर से आया है राजस्थान में भेड़ों/बकरियों के झुण्ड को रेवर कहा जाता है इस प्रकार गायरी/गाडरी/रेवारी भी गडरिया जाति की उपजातियां बनी!
कुरुंबा उपजाति दक्षिण भारत में पायी जाति है तेलुगु भाषा में कुरुबा का मतलब भेड होता है इस प्रकार वहाँ भेड पालने वाले गड़रियों द्वारा कुरुबा सरनेम को अपनाया गया और कुरुंबा भी गडरिया की एक उपजाति बनी!
धनगर उपजाति महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में प्रचलित है धनगर शब्द एक संस्कृत शब्द 'धेनुगर' से लिया गया है,जिसका अर्थ चरवाहे से होता है धनगर शब्द एक पहाड़ी 'धनग' के नाम से भी माना जाता है जो महाराष्ट्र में स्थित है एवं वहाँ चरवाहे रहा करते थे!महाराट्र में धनगर की बहुत सी उपजातियां है जैसे- धनगर/मराठा/हटकर/सेंगर/होल्कर महाराट्र में प्रचलित उपजातियां हैं हटकर लोग महाराष्ट्र,गुजरात,कर्नाटक एवं अन्य दक्षिण भारत के राज्यों में रहने वाले लोग थे!महाराष्ट्र के हटकर लोग भेड पालने वाले लड़ाकू जनजाति से थे बाद में हटकर लोगों में से ही शिवाजी निकले और मराठा राजवंश की स्थापना की!यहाँ यह बताना जरुरी है कि सभी मराठा हटकर नहीं हैं!मराठा राजवंश से ही होल्कर राजवंश बना इस प्रकार होल्कर भी गडरिया जाति की उपजाति बनी!होल्कर मध्य प्रदेश में इंदौर के प्रशासक बने!सेंगर लोग वो लोग थे जो गडरिया तो थे ही लेकिन वो भेड पालने के साथ उनकी ऊन से कम्बल बना कर बेचा करते थे!हटकर उपजाति में भी अन्य उपजातियां हैं जैसे-बारहट्टी/बारहट्टा/बरगाही/बाराहघर!
नीखर और धनगर में क्या अंतर है?- इसके पीछे एक कहानी जुडी हुई है!ये मात्र एक कहानी है जिसमे धनगर स्वयं को बड़ा मानते हैं और निखर खुद को इसमें सच्चाई नहीं है इसलिए सामाजिक समरसता के लिए धनगर निखर के भेदभाव को समाप्त कर एक होकर समाज की प्रगति में योगदान करना आवश्यक है!
Prepared by-Raj Holkar
पाल शब्द संस्कृत शब्द पाला से आया है जिसका अर्थ होता है 'पालने वाला' अथवा 'रखने वाला'! उत्तर भारत में जो लोग भेड बकरिया पालते थे उनको पाल कहा जाता था किन्तु पाल सरनेम सबसे पहले बंगाल और बंगाल के पास के क्षेत्र वर्तमान बांग्लादेश में गुप्तोत्तर कालीन कायस्थ राजाओं ने उपयोग किया वहाँ पाल सरनेम कायस्थों द्वारा लगाया जाता है!उसके बाद महाराष्ट्र की एक शिकार करने वाली जाति ने पाल शब्द को सरनेम बनाया तथा बाद में पाल सरनेम को ग्वालियर के राजा ने अपनाया!इसी प्रकार पाल सरनेम को गढ़वाल के परमार राजपूत राजाओं ने अपनाया किन्तु बाद में उन्होंने इसको सिंह के नाम से परिवर्तित कर दिया!इस प्रकार कहा जा सकता है कि उत्तर भारत में पाल सरनेम को भेड बकरियां पालने वाले गडरिया लोगो ने लगाया और पाल गडरिया की एक उपजाति बन गयी!
उत्तर प्रदेश एवं आसपास के क्षेत्र में बघेल सरनेम एक नदी के कारण लिया गया है जो बघेल साम्राज्य के सीमा पर बहती थी उस नदी के आसपास जो गडरिया निवास करते थे वो अपने आप को बघेल/बाघेला कहने लगे तथा अपने आप को बघेल वंशज मानने लगे!
गायरी/गाडरी/रेवारी- ये उपजातियां राजस्थान में प्रचलित हैं राजस्थानी भाषा में गायर शब्द का अर्थ भेड से निकाला जाता है इस प्रकार राजस्थान में भेड पालने वाले गड़रियों द्वारा गायरी/गाडरी सरनेम का उपयोग किया जाता है!रेवारी शब्द रेवड़/रेवर से आया है राजस्थान में भेड़ों/बकरियों के झुण्ड को रेवर कहा जाता है इस प्रकार गायरी/गाडरी/रेवारी भी गडरिया जाति की उपजातियां बनी!
कुरुंबा उपजाति दक्षिण भारत में पायी जाति है तेलुगु भाषा में कुरुबा का मतलब भेड होता है इस प्रकार वहाँ भेड पालने वाले गड़रियों द्वारा कुरुबा सरनेम को अपनाया गया और कुरुंबा भी गडरिया की एक उपजाति बनी!
धनगर उपजाति महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में प्रचलित है धनगर शब्द एक संस्कृत शब्द 'धेनुगर' से लिया गया है,जिसका अर्थ चरवाहे से होता है धनगर शब्द एक पहाड़ी 'धनग' के नाम से भी माना जाता है जो महाराष्ट्र में स्थित है एवं वहाँ चरवाहे रहा करते थे!महाराट्र में धनगर की बहुत सी उपजातियां है जैसे- धनगर/मराठा/हटकर/सेंगर/होल्कर महाराट्र में प्रचलित उपजातियां हैं हटकर लोग महाराष्ट्र,गुजरात,कर्नाटक एवं अन्य दक्षिण भारत के राज्यों में रहने वाले लोग थे!महाराष्ट्र के हटकर लोग भेड पालने वाले लड़ाकू जनजाति से थे बाद में हटकर लोगों में से ही शिवाजी निकले और मराठा राजवंश की स्थापना की!यहाँ यह बताना जरुरी है कि सभी मराठा हटकर नहीं हैं!मराठा राजवंश से ही होल्कर राजवंश बना इस प्रकार होल्कर भी गडरिया जाति की उपजाति बनी!होल्कर मध्य प्रदेश में इंदौर के प्रशासक बने!सेंगर लोग वो लोग थे जो गडरिया तो थे ही लेकिन वो भेड पालने के साथ उनकी ऊन से कम्बल बना कर बेचा करते थे!हटकर उपजाति में भी अन्य उपजातियां हैं जैसे-बारहट्टी/बारहट्टा/बरगाही/बाराहघर!
नीखर और धनगर में क्या अंतर है?- इसके पीछे एक कहानी जुडी हुई है!ये मात्र एक कहानी है जिसमे धनगर स्वयं को बड़ा मानते हैं और निखर खुद को इसमें सच्चाई नहीं है इसलिए सामाजिक समरसता के लिए धनगर निखर के भेदभाव को समाप्त कर एक होकर समाज की प्रगति में योगदान करना आवश्यक है!
Prepared by-Raj Holkar
Good information brother, thanks.
ReplyDeleteGood information brother, thanks.
ReplyDeleteAdd some more information about baghelkhand....
ReplyDeleteVery informative
DeleteMata ahilya bai
DeleteYogesh baghel P alla
Deleteकृप्या माता अहिल्या बाई के बिषय मे भी बतायें
ReplyDeleteHanji sir mujhe bhi nahi pata kon h ye mata ji
Deleteमहारानी अहिल्याबाई (३१ मई १७२५ - १३ अगस्त १७९५) इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। जन्म इनका सन् 1725 में हुआ था और देहांत 13 अगस्त 1795 को; तिथि उस दिन भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी थी। अहिल्याबाई किसी बड़े भारी राज्य की रानी नहीं थीं। उनका कार्यक्षेत्र अपेक्षाकृत सीमित था। फिर भी उन्होंने जो कुछ किया, उससे आश्चर्य होता है।
Deletedhangar samaj ki popuratain bataye
DeleteKiyon samaj ko jhonte sapne dikha rage ho
ReplyDeleteaapko kuch pata hai to pahle kiu nahi bataya abhi to comment karoge hi app jishshe koi information milti hai to app to chahoge ki app ko sab aata hai baki sab pagal hai
Deleteबहुत बढ़िया जानकारी
DeleteKaun hai tuu
DeleteArun Pal
ReplyDeleteJEETU Rajput chandel
ReplyDeleteभाई आप चंदेल यानि की बघेल हो
Deleteचौहान
DeleteJEETU ph 9991151472
ReplyDeleteविनोद कुमार बघेल (निगोत्र) ऐतहार भिण्ड (म.प्र.)
ReplyDelete9926260690
Aap mp se ho
DeleteShishupal baghel
DeleteDatia mp
Veri good information for our social history.
ReplyDeletePreetam singh
Good information
ReplyDeleteआपने जिस तरीके से इस समाज का वर्णन किया है। वह बहुत ही सुंदर है।
ReplyDeleteहेलो देशराज जी नमस्कार पहले से ही पाल समाज मैं अनेक उपजातियां है और आपने तो निखर धनगर के अलावा बर मैया और निकाल दिया भरमाया अरे समाज में सभी एक हैं सभी धनगर कास्ट केया पाल कास्ट के हैं पर सभी एक जैसे ही हैं एक ही है मेरा मानना है सा है समाज को भटको मत एक लाइन पर आओ मेरा फोन नंबर है 97 20 26 1234 और यही नंबर WhatsApp का है धन्यवाद शुक्रिया समाज के बारे में जानकारी देने के लिए लेकर समाज को अलग नामों से न बांटे
ReplyDeleteHello pal मे bhi pal hu but mp ka abhi yha ki govt n घुममक अधघदेममक जाति मे डाल है तो यह st वर्ग मे आती है kya
DeleteHello pal मे bhi pal hu but mp ka abhi yha ki govt n घुममक अधघदेममक जाति मे डाल है तो यह st वर्ग मे आती है kya
Deleteभाई साहब आपने बिल्कुल सही कहा गडरिया समाज एक नहीं है हमें मिल जुल कर रहना चाहिए समाज तो एक ही है लेकिन उसकी उपजातियां नाम बहुत सारा जैसे गायरी धनगर पाल बघेल आदि प्रकार के नामों से गडरिया समाज को जाना जाता है अगर बात करें हमारे समाज की तो 2012 की जनगणना के अनुसार हमारी समाज देश में दूसरे या तीसरे नंबर पर आती है सबसे ज्यादा जनसंख्या वाली समाज है मेरा यही मत है कि समाज के सभी भाइयों एवं बहनों समाज को अलग-अलग नाम ना देकर सिर्फ एक गडरिया समाज का नाम दें 🙏🏻जय गडरिया समाज💪🏻
DeleteGadariya Kshatriya Samaj hai,Eska dusra naam Pal Ksatriya hai,esliye
DeleteJay Pal Kshatriya Sanaj.
Jay Hind
Jay Bharat
बहुत ही सुन्दर जानकारी मिली पर मेरा एक मत यह है कि हम समस्त लोगों को एकत्रित होने के लिए "गड़रिया "शब्द का अनुसरण करना चाहिए |
ReplyDeleteBahut Achha Vichar mein Bhi yahi sabhi ko kahta hu apne aako ek name se pehchan dena jaruri hai aur woh hai Gadariya Jisse humari sabhi UP Caste nikli hain
DeleteBahut achhe bhai lage raho apni jati ko pachannr me
Deleteजब सभी एक है तो कृपया बताएं कि धनगर जाति SC-क्र सं 27 , और पाल/बघेल/गड़रिया/नीखर जाति OBC-क्र सं 15 , में फिर कैसे. सरकार ने इन्हें किस आधार पर अलग अलग माना है .
ReplyDeleteBat Bat puchh the h Bhai nhi....
DeleteEk h to sc/obc Q?
Brother agar ye sahi hota toh 'Sp singh bhagel" Seat kyu choorte
DeleteChhote chhote tukre me bt jayenge....ek dusre ko chhota or bra khte rhenge....or ek dusre se bhed bhav krte rhenge .....development nhi hoga ...jo changes krenge wo bra bn jayenge or jo nhi krenge to dhire dhhire sc caste me chale jayenge
Deleteआपको बहुत बहुत धन्यबाद समाज के बारे रोचक जानकारी शेयर करने के लिए
ReplyDeleteHum sb gurjar ek h.(devsena)
ReplyDeleteSahi kaha
DeleteKya gurjer bhi pal m aate h kya?
DeleteNeeraj dhangar
Deleteराज माता अहिल्या बाई गडरिया धनगर समाज से थी किया सही जानकारी शेयर करने का कष्ट करे
ReplyDeleteAhilyabai Holkar (1725-1795) was a great ruler and the Queen of the Kingdom of Malwa. Popularly known as Rajmata Ahilyadevi Holkar and she was born in 1725 in the village of Chondi in Maharashtra, India. She was the daughter of Mankoji Shinde who belonged to the Dhangar community, serving as patil of the village.
Deleteमाता अहिल्याभाई के पिता जी धनगर समाज के थे और वे गांव के पटेल थे। माता अहिल्या बाई का विवाह खांडेराव होलकर से हुआ था जो इंदौर के राजा थे।
Excellent
Deleteराज माता अहिल्या बाई गडरिया धनगर समाज से थी किया सही जानकारी शेयर करने का कष्ट करे
ReplyDeleteHa ji vah ak dhangar samaj se thi unake pita vaha ke jamindar the
DeleteHariram singh pal udaypur hardoi up se hun jab sabhi jati ek hai to pal samaj kya ek nahi ho sakte jai hind jai pal samaj
DeleteHum sab Ko surname gadariya likhna chahiye
ReplyDeleteमेरा मानना है । सभी गडरिया समाज को एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए। एक ऐसा मंच तैयार हो जहां समाज के लोग विकास की मुख्य धारा में जुड़ें
ReplyDeleteStart with a unique sername first
Deleteमेरा वाट्सएप्प न है 9918388035
ReplyDeleteNic blog. But I am not satisfy your blog
ReplyDeleteBhai isme kuch missing h mene apne dada se bt ki thi unhone bataya tha ki dhangar puri gadariya samaj m sabse unchi upjati h
ReplyDeleteDhangar तो पूरे भारत में मिलते है और आप कह रहे है की निखर बड़े है / तो कृप्या ये बताएं फिर सभी जघ आप क्यूँ नहीं है ।
ReplyDeleteHum sab ek hai pal..baghel..dhangar..Samaj jindabad
DeleteDhangar तो पूरे भारत में मिलते है और आप कह रहे है की निखर बड़े है / तो कृप्या ये बताएं फिर सभी जघ आप क्यूँ नहीं है ।
ReplyDeleteमराठा ये क्या हमारी caste में आता है(अर्जुन बघेल)
ReplyDeleteबघेल( बाघेला एवं बाघेल)
Deleteजब गुजरात से सोलंकी राजपूत मध्य प्रदेश आयें तो इनके साथ कुछ परिहार राजपूत एवं कुछ मुस्लिम भी आये परन्तु कुछ समय पश्चत सोलांकी राजा व्याघ्र देव ने सोलांकी से बाघेल तथा परिहार से वरगाही वंश की स्थापना की। बघेल वंश की स्थापना व्याघ्र देव ने की जिसके कारण इन्हें व्याघ्र देव वंशज भी कहा जाता है।
चूँकि इन दोनों वंश की स्थापना होने के बाद इन दोनों राजपूतो का ज्यादा विस्तार नही हो पाया जिसके कारण इन वंशो के बारे में ज्यादा जानकरी प्राप्त नही हुई।
इन्हें अग्निकुल का वंशज माना जाता है।इतिहास में समुपलब्ध साक्ष्यों तथा भविष्यपुरांण में समुपवर्णित विवेचन कर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस के विद्वानों के द्वारा बतौर प्रमाण यजुर्वेदसंहिता, कौटिल्यार्थशास्त्र, श्रमद्भग्वद्गीता, मनुस्मृति, ऋकसंहिता पाणिनीय अष्टाध्यायी, याज्ञवल्क्यस्मृति, महाभारत, क्षत्रियवंशावली, श्रीमद्भागवत, भविष्यपुरांण, रीवा राजवंश का सेजरा, रीवा राज्य का इतिहास, बघेल खण्ड की स्थापत्यकला, अजीत फते नायक रायसा और बघेलखण्ड का आल्हा तथा वरगाहितिप्राप्तोपाधिकानॉ परिहरवंशीक्षत्रियॉणॉ वंशकीर्तनम् नामक पुस्तक में बघेल (बाघेला,सोलांकी) तथा वरगाही ( बरगाही, परिहार) वंश का वर्णन किया गया है।।।
आप किस काल मे गुजरात से मध्यप्रदेश आये ।सन जरुर बताये ।क्या आप यदुवंशी राजपूत हे।
Deleteयदुवंशी अहीर(यादव) होता है ना कि राजपूत
Deleteधनगर क्या ये भी हमारी कास्ट मे आते है
ReplyDeleteमें मनोज कुमार धनगर मथुरा से आप सभी को जानकारी के लिए बता दूँ ।। की धनगर गायरी गाडरी मराठा बघेल होल्कर इन्दोरिया निखर पाल राजपूत आदि जाती गड़ेरिया में आती हैं ।। इसमें कोई संचय नही हैं अगर किसी को समाज के बारे में जानकारी चाहिए तो आप बेझिझक मुझसे बात कर सकते हैं ।। 8218551994
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteकन्हैया बघेल फरह मथुरा उत्तरप्रदेश
छत्रपति शिवाजी महाराज तो कुर्मी समुदाय के हैं। कुर्मी समुदाय के अलावा गुर्जर ,राजपूत ,धनगर गडरिया आदि समुदाय भी शिवाजी महाराज पर अपना दावा करते हैं | धनगर गडरिया समुदाय के विद्वानों के अनुसार संपूर्ण भारत के 99 परसेंट राजे रजवाड़े एवं सम्राट धनगर गडरिया समुदायों से थे| छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा समुदाय से थे और महाराष्ट्र के कुनबी/ मराठा से भी "अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा" का लगभग सौ वर्षीय संबंध है| "अखिल भारतीय कूर्मि क्षत्रिय महासभा" के 12 अध्यक्ष मराठा समुदाय से निर्वाचित हुए हैं| जिनमें देवास (जूनियर/ सीनियर) बड़ौदा नरेशों के अलावा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज कोल्हापुर नरेश छत्रपति शाहूजी महाराज भी सम्मिलित हैं| ब्रिटिश विद्वानों के अलावा स्वयं मराठा लेखकों ने अपना संबंध उत्तर भारत के कुर्मी समुदाय से जोड़ा है |"ट्राइबल एंड कॉस्ट ऑफ N W P एंड अवध " के लेखक विलियम क्रुक्स ने स्पष्ट लिखा है कि अतीत में दक्षिण भारत गया कुर्मी वहां के मराठा समुदाय में समाहित हो गया, जबकि दक्षिण भारत से आया मराठा उत्तर भारत के कुर्मी समुदाय में समाहित हो गया| उत्तर प्रदेश और बिहार के कुर्मी समुदाय की यदुवंशी, सचान,चनऊ, पटनवार,समसवार आदि शाखाएं कुर्मी मराठा एकता का प्रत्यक्ष प्रमाण है |
DeleteBc फिर भी यदि हमारे राजपूत/ गुर्जर/ धनगर गडरिया भाइयों को इस से दिक्कत है | तो वे महाराष्ट्र के मराठा समुदाय एवं शिवाजी के वंशज कोल्हापुर ,सतारा या तँजावुर के पूर्व शासक परिवारों से यह घोषित करवा दें कि शिवाजी महाराज राजपूत/ गुर्जर या धनगर गडरिया थे तो हम शिवाजी महाराज पर अपना दावा हटा लेंगे|
Kurmi vashAjo ka k hi Joe raja maharaja ka etihas hi n hi hai
Deleteये कुर्मी किसे कहते हे।स्प्ष्ट करे कुर्मी किस जाति को कहते हे ।
Deleteधर्मेंद्र जी कुर्मी वो हैं जिन्हें महाराष्ट्र में मराठा और कुनबी तथा गुजरात में कनबी पाटीदार कहते हैं जिनमें भोसले गायकवाड़ सिंधिया शिंदे पत
Deleteपवार चावन पाटिल पटेल सचान कटियार गंगवार वर्मा निरंजन उत्तम सैंथवार मल्ल पाटीदार सरनेम होते है और बघेल जी वर्तमान में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जी को गड़रिया मत बोलने लगाना वहां कोई गड़रिया बघेल नहीं लिखता है वहां मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के लोग बघेल लिखते है और वो कुर्मी है शिवाजी और सरदार पटेल इसी कुर्मी समाज से आते हैं एचडी देवगौड़ा शरद पवार an आनंदीबेन पटेल नीतेश कुमार अनुप्रिया पटेल संतोष गंगवार मुकुट बिहारी वर्मा विनय कटियार (संस्थापक बजरंग दल) प्रवीण तोगड़िया (विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष) नरेश उत्तम (यूपी सपा प्रदेश अध्यक्ष) ये सब कुर्मी समाज के ही है
Oo katiyar ke bachhe gand pe itne lath bajaunga ki gau wale ni aaynge bachane samja
DeleteBaghel ka matlab hi bakri charane wala h samja lund ke tope orsamj kaiseageretna hi itihashkar he to smaj or puchh kisi pandit se
Deleteमें मनोज कुमार धनगर मथुरा से आप सभी को जानकारी के लिए बता दूँ ।। की धनगर गायरी गाडरी मराठा बघेल होल्कर इन्दोरिया निखर पाल राजपूत आदि जाती गड़ेरिया में आती हैं ।। इसमें कोई संचय नही हैं अगर किसी को समाज के बारे में जानकारी चाहिए तो आप बेझिझक मुझसे बात कर सकते हैं ।। 8218551994
ReplyDeleteGari gurjar he
Deleteभाई बघेल सबसे पहले तोह राजपूत है और सुन भाई बघेल राज्ये में गड़रिया रहते थे जो कुछ समाये बाद अपने को बघेल कहने लगे जानकारी यह जी और बघेल ना काभी पाल गडरिये थे ok bro
Deleteअच्छी और सामाजिक जानकारी के लिए बहुत धन्यवाद।
DeleteI m baghel
ReplyDeleteI m baghel
ReplyDeleteधन्यबाद
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteतुम्हारे इस विवरण में पुर्बिया का भी विवरण बताओ कि पुर्बिया कब से कहने लगे थे
ReplyDeleteP
DeleteUrbiya
Bihar me bhi gaderi ki AK badi Sankhya hai ray (vaishali,Chapra,Muzaffarpur) and and rest pal.
ReplyDeleteGood information but too delay
ReplyDeleteVery thankful to all my brother
Pardeep Paul
kripya aap hamen batayen ki maharastra rajya main baghelon ko kya kahate hain/
ReplyDeleteaur unki lagabhag sankhya kitni hogi?
dhanywad.
महाराष्ट्र मे बघेल समाज धनगर नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र मे धनगर समाज की लोकसंख्या करीबन देड करोड तक है। महाराष्ट्र की आबादी 12 करोड है। इसका मतलब महाराष्ट्र मे धनगर जाती की आबादी 11.50% तक है
Deleteमराठा तो कुर्मी होते हैं फिर भी यदि हमारे राजपूत/ गुर्जर/ धनगर गडरिया भाइयों को इस से दिक्कत है | तो वे महाराष्ट्र के मराठा समुदाय एवं शिवाजी के वंशज कोल्हापुर ,सतारा या तँजावुर के पूर्व शासक परिवारों से यह घोषित करवा दें कि शिवाजी महाराज राजपूत/ गुर्जर या धनगर गडरिया थे तो हम शिवाजी महाराज पर अपना दावा हटा लेंगे|
DeleteLekharajsingh Rajput Baghel mai apani samaj ke liye piri tarah se samrpit hu .
ReplyDeleteLekharajsingh Rajput Baghel mai apani samaj ke liye piri tarah se samrpit hu .
ReplyDeletejay ho mata ahilya bai holkar ki
ReplyDeleteVery good bro it's true
ReplyDeleteBhai information to shi h but abhi thodi h by Pankaj Pal
ReplyDeleteTHANK'S
ReplyDeleteThank you Bhai for good information
ReplyDeleteSuper super super....
ReplyDeleteSuper super super....
ReplyDeleteHm baghelo ko gadariya m naa jode or jo arakshan man rahe h vo hi le or bane sc.st
ReplyDeleteBhut vadiya Baghel shab
DeleteBhut vadiya Baghel shab
DeleteGadariya obc mai hai gadariya kshatriya hai dekh lo book ke proof
Deletehttps://gadariyakshatriya.blogspot.com/2020/12/gadariya-kshatriya.html
Nice information
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteGadriya samaj se judi jankari dene ke liye aapka dhanywad
ReplyDeleteNice information our history
ReplyDeleteNice information our history Ramesh Madne
ReplyDeleteSir Maine Apne brother ka cast cartificate banvanaa thaa to usmein gadriyaa likha jayega ya baghel
ReplyDeleteAur meri beti ka naam Yovika Baghel Ya Dhanghar rakhoon plz tell
भाई बघेल लिखो इसलिए बघेल राजपूत है
Deleteजानकारी के लिये धन्यवाद दोस्तों
ReplyDeleteविरेंद्र चंदेल (हापुड) उत्तर प्रदेश
पाल समाज की जय हो|
माता अहिल्ल्याबाई की जय हो|
Bihar k kis jile me kis gotra k gareri jati k log rhte gain
ReplyDeleteDhynyawadd jankari k liye
ReplyDeleteBhut achhi jankari
ReplyDeleteBhai tumhe jo ban na hai vo bano par hamara naam Q sath jode rahe ho Rabari raika Hiravanshi Chandravanshi Kshtriya cast hai bhai Rabari Bharvad Ahir ek kom hai
ReplyDeleteUpsc me dhangar obc me aata hai kya ??
ReplyDeleteDhangar obc mai hi hai sab jagah
DeleteUpsc me dhangar obc me aata hai kya ??
ReplyDeleteGadariya ekta jindabad.
ReplyDeleteBeautiful jankari
ReplyDeleteYeah good information for us. I'm from NEPAL in nepal alsotoo much but here calling only pal and gaderiya
ReplyDeleteThe GREAT GADARIYA JINDABAD JINDABAD. .R.K.PAL FROM VARANASI
ReplyDeleteThe GREAT GADARIYA JINDABAD JINDABAD. .R.K.PAL FROM VARANASI
ReplyDeleteThe GREAT GADARIYA JINDABAD JINDABAD. .
ReplyDeleteR.K.PAL FROM VARANASI
The GREAT GADARIYA JINDABAD JINDABAD. .
ReplyDeleteR.K.PAL FROM VARANASI
Raj Kumar
ReplyDelete9761904600
पाल समाज जिंदाबाद था जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा
ReplyDeleteमे विकास पाल यू।पी से मेरी सलाह है। कि हम किसी अनय जाति को समृथन न दै। आपनी सरकार बनाए। जौ समृथन करना चाहता है। तौ काॅल करें।
ReplyDelete7290876173 गाजियाबाद
मे विकास पाल यू।पी से मेरी सलाह है। कि हम किसी अनय जाति को समृथन न दै। आपनी सरकार बनाए। जौ समृथन करना चाहता है। तौ काॅल करें।
ReplyDelete7290876173 गाजियाबाद
Gangajali ka charcha kahi nahi hai please iski bhi jankari den
ReplyDeleteSuresh Kumar bihar 8229873600
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरजत सिंह अपनी जुबां को लगाम दे ।तुमने तो सन 1500का बघेल बातया हे ।पगाल हम तो सन 1000से बघेल हे । हमारी कइ पीढिया मर गइ बघेल लिखते लिखते ।अभी तुझे बघेल क्षत्रिय के बारे मे कुछ नही मालूम ।तू कहा का बघेल हे मे भी तो जानू ।अपनी निकासी बता ।पता तो चले तू असली बघेल हे भी के नही ।हमारी तो वंशावली हे क्या तेरी हे ।
ReplyDeleteबघेल( बाघेला एवं बाघेल)
Deleteजब गुजरात से सोलंकी राजपूत मध्य प्रदेश आयें तो इनके साथ कुछ परिहार राजपूत एवं कुछ मुस्लिम भी आये परन्तु कुछ समय पश्चत सोलांकी राजा व्याघ्र देव ने सोलांकी से बाघेल तथा परिहार से वरगाही वंश की स्थापना की। बघेल वंश की स्थापना व्याघ्र देव ने की जिसके कारण इन्हें व्याघ्र देव वंशज भी कहा जाता है।
चूँकि इन दोनों वंश की स्थापना होने के बाद इन दोनों राजपूतो का ज्यादा विस्तार नही हो पाया जिसके कारण इन वंशो के बारे में ज्यादा जानकरी प्राप्त नही हुई।
इन्हें अग्निकुल का वंशज माना जाता है।इतिहास में समुपलब्ध साक्ष्यों तथा भविष्यपुरांण में समुपवर्णित विवेचन कर सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस के विद्वानों के द्वारा बतौर प्रमाण यजुर्वेदसंहिता, कौटिल्यार्थशास्त्र, श्रमद्भग्वद्गीता, मनुस्मृति, ऋकसंहिता पाणिनीय अष्टाध्यायी, याज्ञवल्क्यस्मृति, महाभारत, क्षत्रियवंशावली, श्रीमद्भागवत, भविष्यपुरांण, रीवा राजवंश का सेजरा, रीवा राज्य का इतिहास, बघेल खण्ड की स्थापत्यकला, अजीत फते नायक रायसा और बघेलखण्ड का आल्हा तथा वरगाहितिप्राप्तोपाधिकानॉ परिहरवंशीक्षत्रियॉणॉ वंशकीर्तनम् नामक पुस्तक में बघेल (बाघेला,सोलांकी) तथा वरगाही ( बरगाही, परिहार) वंश का वर्णन किया गया है।।।
र
ReplyDeleteDharmendra Baghel tu sahi se padhle pehle upar chutiye kya post kar rahe hai baghel ke baare me or meri post achhi Tarah se padh le wo log kya bol rahe hai baghel ke baare me or haa tu kya pata Kare Teri pidhiya Mar gai tujhe to baghel khand ka name nahi pata hoga OR baghel ka raja kaun tha ye bhi nahi pata hoga Rewa ka naam kabhi suna hai tune agar nahi suna to google me search Mar liyo fir aake baat Karna Sengar log ko bhi kya likh raha bhai tu sabse upar wali post achhi Tarah se padh le fir baat kariyo
ReplyDeleteतू तो रीवा का नाम लिये घूम रहा हे ।ये तो नइ बात हे ।उससे पहले बांधो गढ़ था ।जहा का राजा वीर सिंह थे ।
DeleteJitne bhi gad thy sabhi gadariyo ke thy
DeleteVeer gadariyo thy
Veer Ladaku koom by Gadriya itihas utha ke dekh lo iska ek udharan hy IndoorRajghrqna holkarraj pariwar
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteDharmendra Baghel tum kaha se Ho itni badi badi ding maar rahe Ho jara hume bhi to pata chale .....
ReplyDeleteTumhe Janna hai na mere bare ME to Mai rewa se hun rewa ko log Baghelkhand ke name jaante hai
रजत सिंह ।पहले तो मे बतायू बघेल कोई जाति या गोत्र नही हे ।ये क्षत्रियो के 36कुलो मे से इक हे ।और नेंना गढ़ के राजा नरपत सिंह बघेल ने मुसलमानो से लड़ने के लिये बनाया था ।इस मे जितने भी राजा 52गढ़ के थे सभी शामिल हुये थे ।बस पिथोरा राय (प्रथ्विराज चौहान को छोड)कर ।36कुलो को मिला के बघेल कुल बना ।।।।आगे की जानकारी गडरिया हमारी जाति हे ।कुल नही। कुल तो बघेल हे ।और हमरि नरवर गढ़ की निकासी हे ।ये क्षत्रियो का कोई कुल या गोत्र नही जो हमारे समाज मे ना हो । कुछ गोत्र मे बताता हू ।।गुजेला ,राठौर,चंदेल,हिरन्वार ,रेकवार,सेंगर,अहिर,कछवाये,सपा,कोक्नंदे,तंवर,
Deleteसही कहा भाई बघेल राजपूत है में आहिर हूँ बघेल जो अपने कहा है सभ सही है बघेल पहले से ठाकुर है कुछ उस समय के राज्येमें रहने बाले गड़रियों ने अपने आप को बघेल कहना चालू कर दिया था सभी से निबेदन है बघेल लिखो कोई बोले तुम्हें गडरिया तोह उससे अपना इथियाष दिखा देना थैक्स भाई अपने जो कहा
DeleteRajpoot hamesa yanha wanha apni wansh bridh kar diya karte the Shero ka kaam hi hai,
DeleteInki baat ko Ignore karo,
Jinhe Baghelo ke bare me janana ho Rewa Padhare unka swagat hai,
Mai pure wishwash ke sath kahta hoo ki Galafami door ho jayegi......
Om Singh Sengar.
Gangar
Mo.No.9098306816
9424616228
ReplyDeleteMartand Singh (1923–95) was an Indian wildlife conservationist, parliamentarian and the last Maharaja of the princely state of Rewa.[1] Born in 1923 to Gulab Singh at Fort of Govindgarh, then the Maharajah of Rewa, he did his college studies at Daly College, Indore and continued at Mayo College, Ajmer from where he graduated in 1941.[2] After the death of his father in 1946, he became the Maharajah of Rewa and retained the title, but not the power, until the government abolished royalty in 1970.[1]
Martand Singh
Born
15 March 1923
Rewa, British India
Died
India
Occupation
Conservationist
Parliamentarian
Maharaja of Rewa
Known for
Wildlife conservation
Spouse(s)
Maharani Pravin Kumari and Kirti kumari
Children
Pushpraj Singh
Parent(s)
Maharaja Gulab Singh
Awards
Padma Bhushan
Fascinated by the rare breed of white tiger which was native to Rewa, he worked to protect the species and making the region poacher-free.[3] He also reared a white tiger which he found as a cub. After the abolition of royalty, Singh represented Rewa in the 5th Lok Sabha (1971), 7th Lok Sabha (1980) and the 8th Lok Sabha (1984).[1] The Government of India awarded him the third-highest civilian honour of the Padma Bhushan, in 1986, for his contributions to society.[4]
Singh was married to Princess Pravina of Kutch and the couple had one son.[2] He died on 20 November 1995, at the age of 72.[1] He was again in the news in 2013 when his son filed a lawsuit regarding the allegedly illegal sale of Rewa Kothi, their Mumbai bungalow with a reported value of ₹2 billion,
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteक्षत्रीय भी बघेल लिखते है क्रिपया सच्चाई क्या है...?
ReplyDeleteभाई बघेल क्षत्रिय है अग्नि वंशी राजपूत ok
Deleteये सब गड़रिया है अौर सब को अपना सरनेम पाल लगाना चाहिए
ReplyDeleteगडरिया तो सभी थे ।कोन सा एसा राजा हूअ हे जो राजपाट ले के उपर से टपका हे ।पहले जीविका का साधन पशुधन ही था ।
Deleteनहीं भाई सभी समाज में पाल गडरिया आदि नामो को सम्मान नहीं दिया जाता खाश कर ठाकुरो में सावजी हमें नीचे जाती बाले कहते है
Deleteबघेल एक ऐसा नाम है जो राजपूत है बघेल राजपूत अग्नि वंशी 🔥
Kisi ki gaand mai dum naa jo aisa bol de marna hai ka
DeleteBhai ye yaduvansi hai...unme ye Nand vansi hai..
ReplyDeleteभाइयो आपसभी ने एक बघेल बाला पेरागिर्फ पड़ा हो जिसमें लिखा है बघेल साम्राजय/ के पास गडरिये रहते थे जो कुछ समय बाद अपने आप को बघेल कहने लगे
ReplyDeleteबात यह है कि बघेल कभी गड़रिया नहीं थे
Bhagel gaderiya nhi hote ye true hai
Deleteबो पहले से ही राजपूत है बघेल अग्नि वंशी कृपया साव्ही बघेल लिखे ठाकुरो में सम्मान मिलेगा भाइयो
ReplyDeleteNhi
DeleteBaghel Kshatriya the or aaj bhi hai kisi ke bolne or kuchh likhne se itihash nahi badal sakti hai
ReplyDeleteMere beta asa NHI hai
ReplyDeleteGood jjob
ReplyDeleteGood job
ReplyDeletePAL G
ReplyDeleteAisa ho jo hamri prajati h actuly me sab ko ek kr diya jaye to jyada better h bro but jo apki information hai meri mero bahut atisundar lagi
ReplyDeleteपाल बघेल धनगर समाज उत्तर प्रदेश यात्रा सिकंदरा राव खुशालपुर 81 30 41 06 96
ReplyDeleteभाई धनगर पाल गङरया गायरी समाजो का मुझेतो भगवान कृष्ण के समय क्यो नही आया उस वक्त गुजॅर ही क्यो मुझे जानकारी दे
ReplyDelete9424820320
Deleteभाई आपस मैं लडो मत बघेल ठाकुर भी होते हैं
ReplyDeleteऔर गडरिया भी।
जो ठाकुर हो वो बघेल ठाकुर लिखें
और जो गडरिया हो वो बघेल गडरिया लिखें
लेकिन एक बात हमेशा याद रखना
चरवाह जाति पहले आयी थी इस संसार में
और ठाकुर जाति बाद में ।
Badiya hai
ReplyDeleteBhai superb bahut badiya
ReplyDeleteSachin kuruba(dhanagar)
Veersinghbaghel
ReplyDeleteRaythor
इतिहास चांगला आहे पन पुस्तक कोणता नव सांगा पीलीज
ReplyDeleteHum to keliya up se h bhai
ReplyDeleteAre bhai kuch baghelo ne arakchan liya isliy obc hai or kuch baghelo ne nahi liya vo gneral mai ate h ओर सुनो पाल भी ठाकुर है क्योंकि पाल साम्राज्य भी नौसौ बर्ष तक चला मौर्य साम्राज्य भी तो वीर गडरियों कां था
ReplyDeleteसम्राट चन्द्रगुप्त गुप्त मौर्य सम्राट अशोक ये भी वीर गडरिया जाता के थे मराठा साम्राज्य भी गडरिया था
आज में तुम को बताता हूं गडरिया वंश _१ पाल वंश भारत और बंगाल तक २ मौर्य वंश उज्जैन मगध साम्राज्य
३ मराठा वंश महाराष्ट्र ४ होलकर वंश इन्दौर माता अहिल्याबाई होलकर ५ बघेल वंश रीवा सतना ६ अब बताता हूं कि क्षत्रीय बो होता है जिसने युद्ध लडे हो शासन किया हो और आपको मालूम हो जाता सिर्फ चार
होती है ब्रामण क्षत्रीय बेश्य शूद्र और क्षत्रीय सिर्फ वो है जिसका कोई राजवंश हो वीर गडरिया क्षत्रीय है राजपूत क्षत्रीय है पाल वंश से ही राजपूत वंश बना है इसलिए पाल और राजपूत अलग नहीं है
तुम सब पागल हो ये राजपुताई नही छोड़ी पहले भी एसे एसे लड़ लड़ कर मर गये।अब कुछ बडे भी हे उसे भी रोक रहे हो ।काहे को लड़ रहे हो ।मेरि बात सूनौ हम बघेले हे ओर गडरिया भी हम ही हे।अब सूनौ जिसका नाम महाभारत ग्रंथ मे लिखा मिल जाये जेसे हमारा गडरिया अगर महाभारत मे लिखा मिला तो हमारा ।महाभारत मे हम गडरियाओ का जिक्र हे ।अपना दिखादो दवा छोड़ देंगे।
ReplyDeletePal
ReplyDeleteKapil baghel gadariya hu
ReplyDeleteKapil baghel gadariya se aate h
ReplyDeleteGotra bataye
ReplyDeleteभईया कोई ये बता दे कि आर्य कौन है, और कहा से आये है,और ब्राह्णण कौन है | और कहा से आये है| ये १५% lआबादी वाले लोग कभी ऐसी बाते नहीं करते| ये आदिवासी कौन है, और कहा से आये है | आज भी आदिवासी वैसे है | हमारे समाज के लोगो कि सोच कब बदलेगी या आपस में बदला लेगी और लड़ भीड़ कर, कट मर जायेंगे| जैसे द्वापर युग में यदुवंशियो का विनाश कोई और नहीं,कोई गैर नहीं बल्कि आपस में लड़ कर विनाश कर डाले ,वही हाल दिख रहा है |कहा पर जाकर रुकेंगे | कभी कभी लगता है कि सवर्ड़ या उच्च जातियां ऐसे उच्च नहीं है, अगड़े नहीं है ,इनकी बुद्धि भी उच्च है | मैं तो सोच के हैरान हो जाता हूँ कि अदि काल,मधय काल और आधुनिक काल में भी हमारा समाज अपने छाया से ही लड़ता आ रहा है | इसका अंत होगा ही नहीं |हमारे घर में एक से एक लेखक भी है,कवि भी है ,उच्च कोटि के विद्यावान भी है ,और बड़े नेता भी है | फिर भी १५% से बड़ा खिलाडी कोई नहीं है | मुद्दा संघठन का है, मुद्दा एकता का है ,मुद्दा अधिकार का है,मुद्दा पिछड़ेपन का है, मुद्दा अशिक्षा का है | यहाँ हमारे समाज की बुद्धि नहीं जाती है, केवल केवल ये होल्कर,मराठा बघेल गड़ेरिया ,धनगर - निखार आदि आदि पर अटक जाती है | यही कारण है कि हमारे समाज का कोई बंधु-बांधव ऊपर उठता है तो उसकी विवशता हो जाती है कि समाज के लोग तो केकड़े कि तरह प्रतियोगिता करते रहेंगे, हम तो चले अगड़ो में | ऐसा ना किया जाय,जोड़ने का काम हो तो हमरा समाज स्वस्थ और मजबूत होगा...................रामसजीवन पाल
ReplyDeleteHi guys good job
ReplyDeleteSabhi bhai unity me raho. Thnank you
ReplyDeleteजय श्री देवनारायण भगवान की जय गायरी गुज्जर है आपने इसे गडरिया में लिख रहा है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं हमारे गायरी गुर्जर समाज में 152 गोत्र है और मूल रूप से गुज्जर है वह गडरिया नहीं हमारे पास गायरी गुर्जर होने का परिणाम भी है जयजय श्री देवनारायण भगवान की
ReplyDeleteMe pradeep dhangar indore mp se hu bhai or gadriya smaj bhut jaida hai bharat me bs hame ek sath mil kr rhna hoga ye sirf hamre smaj k yuva he kr skte hai isliye jo ho gya use chod kr aage badte hai or smaj ko ek pachan dilate hai or gujar bhi apne he bhai hai or yadav bhi or in sbse phle hum hindu hai hum hinduo ko tud kr he hamre desh ko gulam bna rkha tha
ReplyDeleteएकता का एक ही सूत्र है,आपसी लड़ाई छोड़े ओर सब एक शब्द में खुद को गड़रिया जाती लिखे
ReplyDelete,वरना ऐसे ही डिवाइड एण्ड रूल्स का शिकार होते रहे,वैसे भी भेड़ो में हिम्मत नही होती ।
भाइयों महाराष्ट्र के जलगाव जिले में चार - पांच गांव ऐसे है जहां कुछ धनगर समाज है लेकिन उनकी वेशभूषा और परंपराएं गडरिया समाज से मिलती है। उनकी जाति वह गढ़री बताते है। व्यवसाय भी भेड बकरी चराने और खेती का है । शायद वह गडरिया के ही वंशज हो सकते है। उनके सरनेम जैसे कोकंदे, हरने, बकीले ऐसे होते है, वह श्रावण पोर्णिमा के दिन भूंजरिया नाम का त्योहार मनाते है। जिसमे गेहूं के अंकुर एक दूसरे को भेंट करते है। कई सौ साल से महाराष्ट्र में होने के कारण अब ज्यादातर मराठी बोलते है लेकिन बुजुर्ग लोग जोहनपुरी भाषा जैसी बोलते है। सरनेम में भी भाषिक अपभ्रंश हो गया है जैसे हिनवार की जगह हरने, बघेल की जगह बकिले ऐसा लिखते है। माता अहिल्या देवी होलकर को आराध्य मानते है। आज की तारीख में उनका मूल गडरिया समाज से कुछ भी लेनदेन नहीं है। अपना मूल क्षेत्र भूल गए है। और मराठी लोगो में घुल मिल गए है। बेटी व्यवहार भी इन चार पाच गावो में ही कर लेते है। जाति प्रमाणपत्र मै जाति धनगर पंजीकृत है। लेकिन मूल मराठी धनगरो से कुछ भी सम्बन्ध नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए मुझे संपर्क कर सकते है। मो.09823491689
ReplyDeleteJyada bc mat kro gadariya brand hai
DeleteSabhi ka dhanayavad
ReplyDeleteMain Aarav Singh Chandel from Uttar Pradesh mein bhi Gadaria Hun
ReplyDeleteKya samarval gadriya caste ka hi gotra h if any one know so tell me plz
ReplyDeleteBahut bahut dhanyawad samaj ki jankari dene ke liye
ReplyDeleteMain Aarav Singh Chandel from Uttar Pradesh Gorkhpur se
ReplyDeleteBahut bahut dhanybad
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteSuper
Hmmmm
ReplyDelete